Monday, 20 July 2009

बलात्कार के साइड इफेक्ट्स....!


शुरुआत में ही बता दूं कि, बात पूरी तरह सियासी है, और वो भी सियासी भूचाल की। अजी भूचाल तो बाद में आया, लेकिन मैं ज़रा कुछ कहना चाहता हूं। मैंने पड़ोस के बंटी को अपने दोस्त से रीता आंटी (रीता बहुगुणा जोशी जी) के घर फूंक तमाशा देख वाले अंदाज़ के बारे में बात करते सुना। वैसे रीता जी ने क्या कहा और उसका क्या असर क्या हुआ ये पूरी दुनिया ने देखा। तो मेहरबान-कद्रदान बंटी ने अपने दोस्त से कहा, `यार बलात्कार किसी का भी हो सर्वथा अनुचित और अपराध है. लेकिन ये बात समझ नहीं आई कि बलात्कार पर भी इतना हंगामा नहीं हुआ, जितना उसके साइड इफेक्ट्स पर। ना जाने कहां से रीता जी अपना सियासी धर्म निभाने के लिए बलात्कार पीड़ित महिलाओं से मिलने पहुंच गई। बलात्कार करने वालों को सज़ा तो क्या मिलती, पीड़ितों को मुआवज़ा मिल गया। ख़ैर, ये मुआवज़ा शायद रीता जी को कम लगा, तो उन्होंने पीतलनगरी (मुरादाबाद) में जनसभा में अपने तीखे अंदाज़ से बलात्कार की राशि कर दी पूरे एक करोड़, लेकिन उन्होंने एक शर्त रख दी, कि उसे हासिल करने के लिए पहले किसी ख़ास शख़्स का (नाम नहीं ले रहा हूं, भाई क्या मेरा भी घर फुंकवाओगे..?) बलात्कार होना चाहिए। बलात्कार तो क्या होता, उसके पहले रीता जी की बलात्कार की शर्त ने साइड इफेक्ट दिखा दिया। उसके बाद तो उनके माफ़ी मांगने के बावजूद उनके घर के साथ बलात्कार (तबाह) हुआ। फिर इस घटना के साथ यूपी पुलिस की चुप्पी ने आग में घी का काम किया। रीता जी के बहाने ही सही राहुल गांधी अमेठी पहुंचे और रीता जी के शब्दों को गलत, लेकिन उनकी भावनाओं को सही बताया। अब उनकी कौन सी भावना सही थी, शर्त की या फिर राशि की। बहरहाल, यूपी की निज़ाम रीता जी को माफ़ करने के मूड में नहीं हैं, और बेचारी रीता जी ने अपने वक़ील के ज़रिए अदालत से कहा- इस जेल से मुझे बचाओ। अदालत ने उनकी अपील सुनी और रीता आंटी बाहर आ गईं, लेकिन उनके अंदर जाने से पहले, जेल में दो दिन रहने के बाद और उनके बाहर आ जाने के बाद तक बलात्कार का मुद्दा बलात्कार की तरह ही बना हुआ है। यानि ग़रीब लड़कियों और महिलाओं से बलात्कार जैसे संगीन मामले में रीता जी के बयान के बाद कांग्रेस को अपना हाथ दलितों से दूर होता दिखा और बीएसपी कार्यकर्ताओं ने बयान की आग में अपने वोट बैंक को और पकाने की कोशिश की है। अच्छा होगा, कि उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती जी बलात्कार पीड़ितों के लिए राशि से ज़्यादा मुक़म्मल कार्रवाई को लेकर सजग हों, और रीता जी बलात्कार को दस का दम ना बनाकर पीड़ितों को इंसाफ़ दिलाने की कोशिशें करें। बहरहाल, लगता नहीं, कि देश की सबसे बड़ी पार्टी देश के सबसे बड़े सूबे में फ़िलहाल बलात्कार की घटनाओं के सच का सामना करने के मूड में होगी। बंटी ने तो एक ही झटके में टीवी के हाई टीआरपी प्रोग्रामों को रीता आंटी से जोड़ दिया। क्या करें, बंटी को लगता है, कि रीता आंटी ने भी शायद अपनी टीआरपी के लिए ही तो ऐसा बयान नहीं दिया....? अब रीता जी भी क्या करें, जो हवन वो करने गईं थीं, उसमें कांग्रेस के हाथ पर आंच आ गई और वो सोच रही होंगी...ये दौर-ए-सियासत भी क्या दौर-ए-सियासत है, चुप हूं तो नदामद, बोलूं तो क्या बग़ावत है। ज़रा धीरे बोलो बंटी, इस घटना को मुद्दा बनाकर कहीं टीवी पर एक करोड़ रुपये के बलात्कार का नया रियलिटी शो ना शुरू हो जाए.

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